Sunday, 12 October 2025

एसएस राजामौली की फिल्म ईगा में जब 'मक्खी' बन गया इंसान

 


नानी बिंदु से प्यार करता है।  लेकिन बिंदु के पीछे पागल सुदीप उसे मार देता है। अपनी हत्या का बदला लेने और नानी की कुदृष्टि से बिंदु को बचाने के लिए  नानी एक मक्खी के रूप में पुनर्जन्म लेता है। वह बिंदु के साथ मिलकर सुदीप की ज़िंदगी नर्क बना देता है। 






यह कथानक, २०१२ में प्रदर्शित तेलुगु फिल्म ईगा का था, जो हिंदी पेटी में मक्खी शीर्षक के साथ हिंदी में डब कर प्रदर्शित की गई थी। ईगा को, देश विदेश में प्रशंसा और पुरस्कार मिले थे। किन्तु, हिंदी दर्शकों का एक इंसान का मक्खी बन जाना और उस मक्खी का एक व्यक्ति से बदला लेना गले नहीं उतरा। 






मक्खी की असफलता का एक अन्य कारण फिल्म के अपरिचित सितारे भी थे। यद्यपि यह सितारे अपने अपने  फिल्म उद्योग के प्रतिष्ठित और स्थापित नाम थे।  फिल्म के नायक और मक्खी तेलुगु फिल्म अभिनेता नानी थे।  हालाँकि, सुदीप उस समय तक रामगोपाल वर्मा की फिल्मों फूँक और फूँक २, अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म रण और रक्त चरित्र १ और  रक्त चरित्र २ कर चुके थे। किन्तु, दबंग ३ के सलमान खान को चुनौती देने वाले खलनायक का स्वागत करने वाले दर्शकों ने सुदीप को मक्खी के खलनायक के रूप महत्त्व नहीं दिया।  फिल्म में, आज की  ऊ बोलेगा साला ऊ ऊ बोलेगा गर्ल सामंथा रुथ प्रभु को भी दर्शक उस समय तक नहीं पहचानता था। 






सबसे आश्चर्य की बात यह है कि ईगा के मात्र तीन साल बाद बाहुबली द बिगिनिंग की भव्यता और तकनीकी श्रेष्ठता को सराहने वाले हिंदी दर्शक ने, निर्देशक एसएस राजामौली द्वारा निर्देशित फिल्म ईगा उर्फ़ मक्खी की  उपेक्षा की।  यद्यपि, यह फिल्म कथानक और तकनीक की दृष्टि से श्रेष्ठ फिल्म थी।  







यहाँ बताते चलें कि ईगा का विचार, फिल्म के लेखक और राजामौली के पिता केवी विजयेंद्र प्रसाद को १९९० के दशक में आया। उस समय तक राजामौली ने फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में प्रवेश नहीं  किया था।  उस समय विजयेंद्र प्रसाद अपने पुत्र से घरेलु मक्खी का इंसान से बदला लेने का मजाक कर रहे थे। किन्तु, शीघ्र ही इस विचार ने कागज में अवतार ले लिया। 






ईगा भारतीय सिनेमा के इतिहास का अमूल्य पृष्ठ बन गई। क्योंकि, इस फिल्म में सिनेमा के इतिहास में  लाइव-एक्शन एनीमेशन और विज़ुअल इफेक्ट्स का प्रचुरता से उपयोग किया गया। यह विशेष प्रभाव वाले दृश्य वीएफएक्स कंपनी मकुटा इफेक्ट्स के राहुल वेणुगोपाल, एडेल आदिली और पीट ड्रेपर के पर्यवेक्षण में तैयार किये गए थे ।







ईगा कोऑस्कर में भेजने के लिए तेलुगु फिल्म के रूप में चुना गया था। किन्तु, इस फिल्म को रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा की फिल्म बर्फी पर महत्त्व नहीं दिया गया।  फिर भी ईगा ने विदेशी पुरस्कार  जीतने के अतिरिक्त राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ तेलुगु फिल्म होने का  सम्मान प्राप्त किया।  यद्यपि, हिंदी दर्शकों ने मक्खी को ठुकरा दिया। किन्तु, इसके बाद भी अन्य भाषाओँ में ईगा ने १२५ करोड़ का व्यवसाय कर के उद्योगों का ध्यान आकर्षित किया था। 







बताते हैं कि तेलुगु और तमिल में  साथ निर्मित ईगा की दस दिनों की शूटिंग के बाद, राजामौली को फिल्म के वीएफक्स  प्रत्येक स्थान पर उपयुक्त नहीं लगे। विशेष रूप से फिल्म की मक्खी का बदला लेने के लिए अंग सञ्चालन।  इससे मक्खी की भावनाएं दर्शकों तक नहीं पहुँच पा रही थी। इस लिए निर्देशक ने फिल्म को बंद करने की सोची थी । किन्तु, बाद में राजामौली को ध्यान आया कि फिल्म पर आठ करोड़ रुपये  व्यय हो चुके है। इसलिए उन्होंने फिल्म के वीएफएक्स नए सिरे से संशोधित करने का निर्णय लिया।  






मक्खी के हावभाव स्वभाविक बनाने के लिए राजामौली ने फिल्म के नायक नानी से एक कपड़ा ओढ़ कर मक्खी के रूप में भिन्न हावभाव प्रदर्शित करने के लिए कहा। इन हावभावों को वीएफएक्स टीम ने रिकॉर्ड कर, तदनुसार मक्खी के हावभाव स्वाभाविक बनाये।  






चूँकि एक घरेलू मक्खी का सिर लगभग पूरी तरह से आँखों से बना होता है और बहुत कम मांसपेशियाँ होती हैं, इसलिए मक्खी के रूप में भावनाओं को व्यक्त करना बेहद मुश्किल था। इस पर काबू पाने के लिए, एस.एस. राजामौली ने शारीरिक भाषा का इस्तेमाल किया।  उन्होंने नानी को अपना शरीर पूरी तरह से कपड़े से ढकने को कहा और उन्हें शारीरिक भाषा के माध्यम से ही मनुष्य की विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने को कहा। यह जानकारी एनीमेशन टीम को दी गई, जिन्होंने फिर मक्खी के लिए सभी गतिविधियाँ और शारीरिक भाषा तैयार की।







यह कहा जाता है कि ईगा का कथानक, नवीन निश्चल की १९८२ में प्रदर्शित बीआर इशारा निर्देशित फिल्म दूसरा रूप से प्रेरित थी। इस फिल्म में कुछ लोग एक महिला से बलात्कार करते हैं।  वह स्त्री आत्महत्या कर लेती है। मरने के बाद, वह स्त्री कुत्ते का जन्म लेती है और अपने बलात्कारियों से एक एक कर बदला लेती है। अब यह बात दूसरी है कि हिंदी दर्शकों ने इस फिल्म को नकार  दिया था।  







तेलुगु फिल्म ईगा को, तमिल में नान ई शीर्षक के साथ प्रदर्शित किया गया था। फिल्म मलयालम में ईचा और हिंदी में मक्खी के शीर्षक से प्रदर्शित किया गया था।  यह फिल्म थाई भाषा में डब कर प्रदर्शित की गई थी। फिल्म में, अजय देवगन और काजोल ने हिंदी संस्करण का  परिचय दर्शकों से कराया था।  







आज ईगा (मक्खी) को प्रदर्शित हुए १२ साल हो गए है। 

No comments: