मराठी और हिंदी फिल्मों की प्रतिष्ठित अभिनेत्री संध्या शांताराम का ८७ वर्ष की आयु में निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि आयुगत बीमारियों के चलते उनका स्वर्गवास हुआ।
कोच्ची में, २७ सितम्बर १९३८ को जन्मी, विजय देशमुख को, संध्या के रूप में पुनर्जन्म दिया मराठी और हिंदी फिल्मों के विश्व प्रसिद्ध फ़िल्मकार शांताराम राजाराम वणकुद्रे ने, जिन्हे हिंदी फिल्म दर्शक वी शांताराम के नाम से पहचानते है।
शांताराम को, अपनी मराठी फिल्म अमर भूपाली के लिए एक नए चेहरे की तलाश थी। संध्या की आवाज सुन कर शांताराम को लगा कि संध्या ही अमर भूपाली की गुणवती हो सकती है। यह फिल्म लावणी नृत्य को लोकप्रिय बनाने वाले होणाजी बाला के जीवन पर फिल्म थी। इस फिल्म को बड़ी सफलता मिली। फिल्म की सफलता में, संध्या का महत्वपूर्ण योगदान था।
यहाँ एक दिलचस्प तथ्य। वी शांताराम ने तीन शादियां की थी। उनकी पहली पत्नी का नाम विमलाबाई था। विमला से हुई एक संतान मधुरा का विवाह पंडित जसराज से हुआ था। इन दोनों के बच्चे शारंगदेव और दुर्गा जसराज ने भी संगीत और अभिनय के क्षेत्र में नाम कमाया। प्रभात स्टूडियो की स्थापना विमलाबाई के बेटे प्रभात कुमार के नाम पर की गई।
शांताराम ने दूसरी शादी फिल्म अभिनेत्री जयश्री से १९४१ में हुई थी। यह विवाह १९५६ तक चला। इन दोनों की बेटी राजश्री ने भी हिंदी फिल्मों में सफलता प्राप्त की। किन्तु, उन्हें बॉलीवुड रास नहीं आया। वह फिल्मों से सन्यास लेकर एक अमेरिकी युवक से शादी कर अमेरिका बस गई।
जयश्री से तलाक के बाद, शांताराम ने १९५६ में ही संध्या से विवाह किया। संध्या से विवाह का कारण भी बड़ा विचित्र था। शांताराम को, संध्या की शक्ल जयश्री से मिलती लगती थी। फिल्म परछाइयां में इसे देखा जा सकता है। परछाइयां में, नायक वी शांताराम की दो नायिकाएं जयश्री और संध्या ही थी। यह इन तीनों की एकमात्र फिल्म थी।
श्रीमती संध्या शांताराम बनने तक, संध्या ने शांताराम की तीन फिल्मों परछाइयां, तीन बत्ती चार रास्ता और झनक झनक पायल बाजे में अभिनय कर लिया था । विवाह के पश्चात् भी, संध्या ने फिल्मों में अभिनय जारी रखा। उन्होंने शांताराम की लगभग सभी फिल्मों में अभिनय किया।
फिल्म झनक झनक पायल बाजे नृत्य प्रतिस्पर्द्धा पर केंद्रित नृत्य गीत से भरपूर फिल्म थी। इस फिल्म में संध्या ने प्रसिद्ध कत्थक नर्तक गोपीकृष्ण के साथ अभिनय किया था। गोपीकृष्ण के साथ फिल्म करने का लाभ संध्या को मिला। यह फिल्म एक नृत्यांगना की थी। किन्तु, संध्या को नृत्य की शिक्षा नहीं मिली थी। गोपीकृष्ण ने, फिल्म में काम करते हुए ही, संध्या को नृत्य कला में पारंगत किया। यह फिल्म बड़ी हिट हुई थी तथा इस फिल्म को श्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।
फिल्म झनक झनक पायल बाजे के बाद, संध्या ने पति वी शांताराम के साथ उनकी गोल्डन ग्लोब अवार्ड विजेता फिल्म दो आँखे बारह हाथ में अभिनय किया। इस फिल्म में एक दुर्घटना में नेत्र ज्योति लगभग खो चुके शांताराम की अगली फिल्म नवरंग की कल्पना का जन्म हुआ। नवरंग को संध्या की नृत्य प्रतिभा ने सभी रंग भर दिए।
शांताराम की हिंदी और मराठी फिल्मों के अतिरिक्त भी संध्या ने कुछ अन्य भाषा की फिल्मों में भी अभिनय किया। ऐसी ही एक फिल्म तमिल भाषा की अपराध रहस्य फिल्म मारगाथाम में, तमिल फिल्मों के प्रतिष्ठित अभिनेता शिवाजी गणेशन और अभिनेत्री पद्मिनी के साथ अभिनय किया था। किन्तु, २१ अगस्त १९५९ को प्रदर्शित यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल साबित हुई। उन्होंने शिवजी गणेशन की एक अन्य तमिल रोमांस फिल्म कुलमगल राधाई में भी सह भूमिका की थी।
संध्या ने एक कन्नड़ फिल्म रणधीरा कांतिरवा (१९६०) में अभिनय किया था। उस समय कन्नड़ फिल्म उद्योग की दशा शोचनीय थी। इस फिल्म में शीर्षक भूमिका कन्नड़ फिल्मो के सुपरस्टार डॉक्टर राजकुमार ने की थी। यह फिल्म पहली ब्लॉकबस्टर कन्नड़ फिल्म थी।
१९६३ में संध्या की तीसरी तमिल फिल्म इरुवर उल्लम प्रदर्शित हुई। एलवी प्रसाद निर्देशित यह तमिल फिल्म रोमांस और बदला से भरपूर फिल्म थी। फिल्म में शिवजी गणेशन और सरोजा देवी मुख्य भूमिका में थे। इस प्रकार से, संध्या ने शिवजी गणेशन के साथ तीन फिल्मों में अभिनय किया। किन्तु, उन्हें तमिल फिल्मों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इस पर वह मराठी और हिंदी फिल्मों तक सीमित हो गई।
उनकी अंतिम मराठी हिंदी फिल्म पिंजरा थी। फिल्म का कथानक एक गांव के अध्यापक के एक नर्तकी से प्रेम करने के कथानक पर थी। संध्या के साथ इस फिल्म से, डॉक्टर श्रीराम लागू का हिंदी दर्शकों से पहला परिचय हुआ था। यद्यपि, डॉक्टर लागू की पहली फिल्म आहट थी। किन्तु, इस फिल्म के देर से प्रदर्शित होने के कारण उनकी पहली फिल्म पिंजरा कहलाई।

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