इस साल, दिवाली
सप्ताहांत पर बॉक्स ऑफिस पर दो हिंदी फ़िल्में थम्मा और एक दीवाने की दिवानीयत २१
अक्टूबर को प्रदर्शित होने जा रही है। बजट
की दृष्टि से यह फ़िल्में क्रमश १०० करोड़ और ८० करोड़ में बनी बताई जा रही है।
किन्तु, स्टार कास्ट की
दृष्टि से यह फ़िल्में बड़े टकराव वाली नहीं कही जा सकती है।
किन्तु, आज
से ३७ साल पहले, दिवाली
सप्ताहांत में दो बड़े बजट और बड़े सितारों वाली फिल्में प्रदर्शित हुई थी। यह बॉलीवुड के इतिहास का पहला ऐसा बड़ा टकराव
था। यद्यपि उस समय तक दिवाली को इतनी उपजाऊ नहीं माना जाता था। क्योंकि, सामान्य रूप से हिन्दू आबादी घरों की
साफ़ सफाई और पूजा पाठ में लगी रहती है।
यह फ़िल्में थी निर्माता यश जोहर के धर्मा प्रोडक्शंस की
कुछ कुछ होता है और निर्माता वसु भगनानी के पूजा एंटरटेनमेंट की बड़े मिया छोटे
मिया। कुछ कुछ होता है में बाजीगर, करण अर्जुन और दिल वाले दुल्हनिया ले
जायेंगे की सुपरहिट जोड़ी शाहरुख़ खान और काजोल
रोमांस कर रहे थे। इस रोमांस को त्रिकोण दे रही थी, काजोल की चचेरी बहन रानी मुख़र्जी। यह रानी की पहली फिल्म थी। इस फिल्म का बजट दस करोड़ था।
निर्माता वसु भगनानी ने इस बड़ी फिल्म के सामने अपनी
फिल्म बड़े मिया छोटे मिया को प्रदर्शित करने का निर्णय लिया था। उनके शुभ चिंतकों ने उन्हें समझाया भी कि इतनी
बड़ी जोड़ी की रोमांटिक फिल्म के सामने कॉमेडी एक्शन फिल्म को प्रदर्शित करना उचित
नहीं होगा। किन्तु, वासु को अपनी फिल्म की अमिताभ बच्चन और
गोविंदा की हास्य जोड़ी पर पूरा विश्वास था।
फिल्म में रोमांस के लिए रवीना टंडन और राम्या कृष्णन को लिया गया था।
फिल्म के निर्देशक डेविड धवन थे। फिल्म का
बजट १२ करोड़ था।
दिवाली के सप्ताहांत में, १६ अक्टूबर को रोमांस और हास्य का टकराव हुआ। बजट के लिहाज से बड़ा यह टकराव बड़े सितारों का
टकराव भी था। दो भिन्न फिल्म शैलियों का टकराव भी था। इससे इन दोनों ही फिल्मो को
बड़ा प्रचार मिला। दर्शक दिवाली की छुट्टी
पर घर से निकल पड़े।
परिणामस्वरुप दोनों ही फिल्मे सुपरहिट हो गई। पहले दिन, कुछ कुछ होता है पर बड़े मिया छोटे मिया
कुछ भारी पड़ी। कुछ कुछ होता है ने जहाँ ८४ लाख की कमाई की, वही बड़े मिया छोटे मिया ने १ करोड़ ८
लाख पीट डाले। बाद में, बड़े मिया से कुछ
कुछ होता है आगे निकल गई। इन दोनों
फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर, बड़े मिया छोटे
मिया ने ३५ करोड़ और कुछ कुछ होता है ने १०५ करोड़ का ग्रॉस किया।
इसके बाद से, दिवाली सप्ताहांत में सामान्य रूप से बड़ी बजट या सितारों
वाली फिल्मों के प्रदर्शन का प्रारम्भ हो गया।
थम्मा और एक दीवाने की दीवानीयत इसी का परिणाम है।

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