एक बार, एक साक्षात्कार में, बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने स्वीकार किया था कि उन्हें गैंगस्टर चरित्र भाते है। परदे पर गैंगस्टर चरित्र करना, उनकी सोहबत का परिणाम भी था। बड़ी फिल्म अभिनेत्री नरगिस और अभिनेता सुनील दत्त के महाराष्ट्र की राजनीति में शाख रखने वाले दत्त परिवार के सबसे बड़े बेटे की सोहबत गैंगस्टर में उठने बैठने की थी। बॉम्बे के उस समय के दाऊद इब्राहिम, आदि जैसे कुख्यात गैंगस्टर उनके घनिष्ट मित्र थे।
तभी तो बॉम्बे बम ब्लास्ट के बाद, बॉलीवुड से संजय दत्त ही धरे गए, क्योंकि उनके घर से हथियार मिले थे। कुछ कहते हैं कि संजय दत्त ने एके ४६ राइफल गला दी थी। एजेंसियों ने भी इस तथ्य को कांग्रेसी सरकारों के दबाव में चार्ज शीट से हटा दिया था। अन्यथा संजय दत्त को कारवास के बजाय फांसी हो गई होती।
बहरहाल, संजय दत्त की फिल्मों के गैंगस्टर की। संजय दत्त ने, अपनी खलनायक जैसी फिल्मों में दुष्ट चरित्र किये थे। किन्तु, उन्होंने वास्तविक गैंगस्टर की भूमिका महेश मांजरेकर निर्देशित फिल्म वास्तव में की थी। वास्तव, अंग्रेजी टैग लाइन द रियलिटी के साथ शीर्षक वाली इस फिल्म में संजय दत्त ने छोटा राजन की भूमिका की थी।
गैंगस्टर फिल्म वास्तव ने, संजय दत्त के समाप्ति की ओर अग्रसर फिल्म जीवन को नया जीवन दिया था। वास्तव से पहले और खलनायक के बाद, संजय दत्त की प्रदर्शित फिल्में जमाने से क्या डरना, आंदोलन, विजेता, नमक, दौड़ और कारतूस एक के बाद एक बॉक्स ऑफिस पर ध्वस्त हो रही थी। छह असफल फिल्मों के बाद, वास्तव द रियलिटी ने संजय दत्त के फिल्म जीवन को ही नहीं संवारा, बल्कि उन्हें फिल्मफेयर का श्रेष्ठ अभिनेता का पहला पुरस्कार भी मिला। इससे पूर्व, संजय दत्त फिल्म साजन और खलनायक के लिए भी इस श्रेणी में नामित हुए थे।
ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म पुरस्कारों को भी गैंगस्टर फ़िल्में भाति है। क्योंकि, वास्तव से एक साल पूर्व प्रदर्शित फिल्म सत्या ने, फिल्मफेयर में छः क्रिटिक अवार्ड जीते थे। जिनमे श्रेष्ठ फिल्म और अभिनेता के पुरस्कार भी सम्मिलित थे। मनोज बाजपेई ने तो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी प्राप्त किया था। इसके बाद, संजय दत्त भी गैंगस्टर चरित्र कर वास्तव के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार ले उड़े।
बताते हैं कि फिल्म के लिए संजय दत्त से मिलने होटल गए महेश मांजरेकर को शूटिंग के कारण प्रतीक्षा करनी थी। सो उन्होंने शराब पीते पीते फिल्म का पहला दृश्य लिख डाला। इसके बाद, उन्होंने संजय दत्त के आने तक फिल्म के २२ दृश्य लिख लिए। संजय दत्त ने, फिल्म की कहानी को सुनने के दस मिनट में फिल्म पर अपनी सहमति जता दी।
फिल्म की कहानी, निःसंदेह गैंगस्टर थी। किन्तु, फिल्म का अंत मदर इंडिया की नक़ल में था। मदर इंडिया में संजय दत्त की माँ नरगिस उनके पिता फिल्मी डाकू बेटे बने सुनील दत्त को गोली मार देती है। वास्तव द रियलिटी में, संजय दत्त के रघु को उनकी रील लाइफ माँ माथे पर बन्दूक सटा कर मार डालती है।
फिल्म में, संजय दत्त के पिता और माँ की भूमिका शिवजी साटम और रीमा लागू ने की थी। उस समय शिवजी साटम, संजय दत्त से कुछ साल ही बड़े थे। जबकि, रीमा लागू केवल एक साल बड़ी थी।
मराठी फिल्म आई से निर्देशक की कुर्सी पर बैठने वाले महेश मांजरेकर की पहली हिंदी फिल्म निदान थी। इस फिल्म की शूटिंग महेश मांजरेकर ने प्रारम्भ कर दी थी, जब वह वास्तव के लिए संजय दत्त से मिलने गए। होनी को देखिये कि जिस फिल्म वास्तव की शूटिंग बाद में हुई, वह पहले प्रदर्शित हो गई। जबकि, निदान एक साल बाद, २००० में प्रदर्शित हुई थी।
यहाँ एक बात निदान के विषय में। निदान एड्स की समस्या पर फिल्म थी। इस फिल्म में, वास्तव में संजय दत्त के माता पिता रीमा लागू और शिवजी साटम प्रमुख भूमिका में थे। यह चरित्र अपनी एड्स से पीड़ित बेटी के अधिकारों के लिए संघर्ष करते थे। इसी फिल्म में, संजय दत्त ने स्वयं की भूमिका में कैमिया किया था। क्योंकि, फिल्म की एड्स की शिकार लड़की बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की प्रशंसक थी।
फिल्म वास्तव द रियलिटी का सेट बॉम्बे में सायन के पास चूनाभट्टी में लगा कर शूट हुई थी। महेश मांजरेकर ने, बाद में अपनी दो फिल्मों तेरा मेरा साथ रहे और प्राण जाए पर शान न जाये की शूटिंग भी इसी सेट पर हुई थी।

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