Sunday, 19 October 2025

बॉलीवुड के प्रिंस प्रदीप कुमार- जहांगीर भी, शाहजहाँ भी!

 


वह, अनारकली और नूरजहाँ के प्रिंस सलीम थे। ताजमहल के शहजादा खुर्रम भी।  वह शीरीं के फरहाद थे तो हीर के रांझा भी।  वह अलीबाबा अलादीन के सिंदबाद भी थे। वह महाभारत के धनुर्धर अर्जुन भी थे। जी हाँ, आप ठीक  समझे।  ऐतिहासिक धार्मिक भूमिकाये समान क्षमता से कर पाने वाले, हिंदी फिल्मों के प्रिंस कहे जाने वाले अभिनेता प्रदीप कुमार थे।





 

अपनी फिल्म यात्रा बंगला फिल्मों से प्रारम्भ करने वाले अभिनेता प्रदीप कुमार का हिंदी दर्शकों से प्रथम परिचय बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास आनंद मठ पर इसी शीर्षक वाली फिल्म आनंद मठ से हुआ।  हेमेन गुप्ता की इस फिल्म में प्रदीप कुमार ने पृथ्वीराज कपूर, गीता बाली और भारत भूषण के साथ एक साधु जीवानंद की सह भूमिका की थी।





 

इस सह भूमिका से उन्होंने हिंदी फिल्म निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया। आगामी फिल्म  अनारकली में वह  बीनाराय की अनारकली के प्रिंस सलीम बने थे। इस भूमिका और उनकी खूबसूरती ने उन्हें हिंदी फिल्मों का प्रिंस बना दिया।

 




प्रदीप कुमार की सफलता अद्भुत थी। वह अनारकली के बाद, फिल्म  नागिन में वैजयंतीमाला के सनातन बन गये। उन्होंने उस समय की सभी बड़ी अभिनेत्रियों वैजयंतीमाला (नागिन, सितारा, दो दिलों के दास्ताँ), गीताबाली के साथ (आनंद मठ के अतिरिक्त अलबेली), मीना कुमारी (अद्ल ए जहांगीर, आरती, चित्रलेखा, भीगी रात, बहू बेगम, नूरजहां)  मधुबाला (राजहठ, शीरीं फरहाद, गेट वे ऑफ़ इंडिया, यहूदी की लड़की, पासपोर्ट), बीना राय (अनारकली, ताजमहल, घूँघट), नरगिस (अदालत, रात और दिन), माला सिन्हा (हैमलेट, बादशाह) के साथ फ़िल्में की।





 

पदीप कुमार, सचमुच हिंदी सिनेमा के प्रिंस थे।  उनकी कई कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्मे इसका प्रमाण है। प्रदीप कुमार ने, हेलमेट, बादशाह, अद्ल ए जहांगीर, हूर ए अरब, राजहठ, पटरानी,दुर्गेश नंदिनी, अरब का सौदागर, यहूदी की लड़की, पटरानी, आदि उल्लेखनीय नाम है।





 

प्रदीप कुमार ने, घूंघट, मॉडर्न गर्ल, संजोग, तू नहीं और सही, मेरी सूरत तेरी आंखे, मिटटी में सोना, तू नहीं और सही, दुनिया न माने, नया संसार, अदालत, आरती, फैशन, नया जमाना, आदि फ़िल्में सामाजिक और संदेशात्मक फिल्मे थी। 





 

प्रदीप कुमार ने निर्माता और निर्देशक की भूमिका भी निभाई। उन्होंने निर्माता के रूप में चार फ़िल्में एक शोला, पुलिस, दो दिलों की दास्तान और न भूलें हैं न भूलेंगे फिल्मों का निर्माण किया।  इनमे से बाद की दो फिल्मों का निर्देशन भी प्रदीप कुमार ने किया था। प्रदीप कुमार ने, निर्माता निर्देशक के रूप में फिल्म कल की बेटी का निर्माण  प्रारम्भ किया था। किन्तु, नवीन निश्छल और सारिका के साथ प्रारम्भ यह फिल्म शीघ्र ही डब्बा बंद हो गई। 




 

प्रदीप कुमार के नाम कई डब्बा बंद फिल्मे दर्ज है। उनकी राजू मेरा नाम, रास्ते अपने अपने, जादू ही जादू, अत्याचारी,  लाल बदन, नीलम, आदि फ़िल्में कुछ रील बनने या घोषणा होने बाद ही बंद कर दी गई।

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