२००८ में, शाहरुख़ खान के साथ रोमांटिक फिल्म रब ने बना दी जोड़ी से करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने बैंड बाजा बारात, लेडीज वर्सेज रिक्की बहल, जब तक है जान, पीके, आदि रोमांटिक फ़िल्में ही ज्यादा की. लेकिन, बतौर फिल्म निर्माता तो उन्होंने शीर्षासन कर लिया लगता है. उनकी निर्माता के रूप में पहली फिल्म एनएच १० डार्क थ्रिलर फिल्म थी. खुद अनुष्का शर्मा ही लोहे रोड से सर फोड़ रही थी. हिंसा ही हिंसा. अगली फिल्म फिल्लौरी अरु परी में भूत उतर आया. परी में तो वह खुद भूतनी बनी हुई थी. इसी साल प्राइम विडियो के लिए उनकी अपराध थ्रिलर सीरीज पाताल लोक में ऐसा कुछ नहीं था, जो पहले कभी नहीं देखा गया हो. कमोबेश ऊबाऊ इस सीरीज में जयदीप अहलावत उभर कर आते थे. अब नेटफ्लिक्स पर बुलबुल में वह एक बार फिर भूत के आसरे हैं. कहानी और वातावरण काफी पुराना है १८८१ के कलकत्ता का. इतना पुरानापन दर्शकों को रास नहीं आता. अन्विता दत्ता ने कई हिंदी फिल्मों के संवाद और पटकथा का लेखन किया है. बुलबुल बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म है. इस फिल्म से वह कहना क्या चाहती थी, समझ से परे है. बालिका वधु से शुरू यह फिल्म चुड़ैल तक जा पहुंचती है. इस बीच में देखने लायक कुछ है तो राहुल बोस, पावली डैम और परमब्रत चट्टोपाध्याय का अभिनय. परन्तु इस सब पर भारी पड़ी हैं अभिनेत्री तृप्ति डिमरी. वह अभी दो फ़िल्में (पोस्टर बॉयज और लैला मजनू) पुरानी है. बुलबुल उनकी तीसरी फिल्म है. पर वह बेहद सटीक अभिनय करती नज़र आती है. उन्होंने खुद को ठकुराइन और बुलबुल की भूमिका में ढाल लिया है. फिल्म लैला मजनू में अविनाश तिवारी उनके मजनू थे. इस फिल्म में वह उनके सत्य बने है. भूमिका में वह जमे नहीं. संवाद बढ़िया हैं. फिल्म को दृश्य प्रभावों और कैमरा वर्क के लिए याद किया जाएगा.
No comments:
Post a Comment