Thursday, 30 April 2020

एक्शन के युग में रोमांस की अलख जगाने वाले Rishi Kapoor

राजकपूर ने एक जोकर की कहानी पर दो इंटरवल वाली फिल्म मेरा नाम जोकर का निर्माण किया था। यह फिल्म राजकपूर की महत्वकांक्षी फिल्म थी। लेकिन, राकपूर की मुख्य भूमिका वाली सितारों से भरी फिल्म मेरा नाम जोकर बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हुई। राजकपूर हताश तो हुए ही, भारी नुकसान में भी आ गए। उसी दौरान कपूर खानदान की तीन पीढ़ियों के अभिनय से सजी फिल्म कल आज और कल भी बनाई जा रही थी। यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास नहीं कर सकी। राजकपूर बर्बादी के कगार पर आ गए।
स्टूडियो गिरवी रख कर बनाई फिल्म
ऐसे समय में राजकपूर ने कपूर स्टूडियो गिरवी रख कर फिल्म बॉबी का निर्माण शुरू किया। यह फिल्म टीनएज रोमांस पर थी। राजकपूर की यह खालिस मसाला फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने अपने बेटे ऋषि कपूर को एक गुजराती चेहरा डिंपल कपाडिया के साथ फिल्म का नायक बनाया था।  फिल्म में पहली बार शंकर जयकिशन के बजाय लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल ने संगीत दिया था। इस फिल्म के लिए उनके परम मित्र प्राण ने सिर्फ एक रुपया पारिश्रमिक के तौर पर लिया था। राजकपूर निर्देशित फिल्म बॉबी में ड्रामा था, इमोशन था और भरपूर अंग प्रदर्शन भी। डिंपल कपाडिया ने अपनी रूप राशि का जम कर प्रदर्शन किया था। २८ सितम्बर १९७३ को बॉबी रिलीज़ हुई। यह फिल्म पूरे भारत में ज़बरदस्त हिट फिल्म साबित हुई। राजकपूर की किस्मत पलट गई।
बॉलीवुड की पूँजी ऋषि
बॉबी ने कई सितारों को जन्म दिया। लक्ष्मीकान्त- प्यारेलाल ने राजकपूर कैंप में प्रवेश किया। फिल्म से दो नए गायकों शैलेन्द्र सिंह और नरेन्द्र चंचल को बॉलीवुड में पहला बड़ा मौक़ा मिला। डिंपल कपाडिया ने अपनी सेक्स अपील का डंका बजा दिया। यही कारण था कि बॉबी के तत्काल बाद, राजेश खन्ना से शादी कर बॉलीवुड को लात मार देने वाली डिंपल ने १० साल बाद, जब वापसी की तो बॉलीवुड ने उन्हें हाथों हाथ लिया। लेकिन, बॉलीवुड की पूँजी साबित हुए राजकपूर के बड़े बेटे ऋषि कपूर।
४७ साल तक सक्रिय करियर की शुरुआत
बॉबी के बाद, ऋषि कपूर लगातार ४७ साल तक परदे पर सक्रिय रहे। वह बॉलीवुड के चॉकलेटी हीरो के रूप में स्थापित हो गए। वह कपूर खानदान के वारिस थे। लेकिन, अपनी प्रतिभा के बल पर लम्बे समय तक बने रहे। उन्होंने बाहर के बैनरो की फ़िल्में भी खूब की। ऋषि कपूर की सफलता इस लिहाज़ से ख़ास थी कि १९७० और उसके बाद के दशक की फिल्मों के लोकप्रिय नायक की इमेज  ऋषि कपूर की स्क्रीन इमेज के खिलाफ थी। बॉबी की रिलीज़ से, लगभग छः महीने पहले ११ मई १९७३ को जंजीर रिलीज़ हो कर बड़ी हिट साबित हो चुकी थी। अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन यानि क्रुद्ध युवा का डंका बज गया था। हिंदी फिल्मों में एक्शन का दौर शुरू हो चूका था। ऐसे समय में ऋषि कपूर ने खुद की इमेज को बदलने की कोई कोशिश नहीं की। उन्होने रोमांटिक फ़िल्में करना जारी रखा। उनकी यह रोमांस फ़िल्में हिट भी हुई और फ्लॉप भी। पर ऋषि कपूर डिगे नहीं। इसमे उनकी काफी मदद मिली नीतू सिंह से जोड़ी बना कर। इस जोड़ी के साथ रिलीज़ तमाम फ़िल्में ज़हरीला इंसान, जिंदा दिल, रफू चक्कर, खेल खेल में, कभी कभी, अमर अकबर अन्थोनी, आदि बड़ी हिट साबित हुई।
बेमिसाल रोमांटिक हीरो
ऋषि कपूर रोमांटिक हीरो के तौर पर किस कदर सफल थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब अमिताभ बच्चन ने अपनी इमेज से विपरीत रोमांटिक फिल्म कभी कभी की तो उन्हें सहारा देने के लिए नीतू सिंह के साथ ऋषि कपूर फिल्म में मौजूद थे। इस फिल्म के बाद अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर ने अमर अकबर अन्थोनी, नसीब, कुली और अजूबा जैसी कई सुपरहिट फ़िल्में एक साथ की। अजूबा के २७ साल बाद, जब फिल्म १०२ नॉट आउट में अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर साथ आये तो फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
रोमांटिक हीरो के लालची नहीं
ऋषि कपूर ने कभी भी रोमांटिक हीरो बने रहने की कोशिश नहीं की। उन्होंने अपनी भूमिकाओं की सशक्तता पर ध्यान दिया। अगर किसी सशक्त पटकथा वाली फिल्म उनकी इमेज से अलग थी तो भी उन्होंने उस फिल्म को किया। एक चादर मैली सी, हथियार, बोल राधा बोल, दामिनी, आदि कुछ ऐसी ही फ़िल्में थी। उन्होंने केसू रामसे की थ्रिलर फिल्म खोज में भी अभिनय किया था। एकता कपूर की हॉरर फिल्म कुछ तो है में उन्हें नकारात्मक भूमिका में देखा गया। उन्होंने डी-डे में दाऊद इब्राहीम का रील किरदार किया था। उनकी फिल्म अग्निपथ में लड़कियों को देह व्यापार में झोंकने वाले रऊफ लाला की भूमिका की कड़ी आलोचना हुई थी। यह आलोचना उनकी अच्छी इमेज का परिणाम थी। ऋषि कपूर ने बड़ी आसानी से रोमांटिक भूमिकाओं के बजाय चरित्र भूमिकाओं को करना शुरू कर दिया। प्यार में ट्विस्ट, फना, नमस्ते लन्दन, डेल्ही ६, लव आजकल कुछ ऐसी ही फ़िल्में थी। वह पटियाला हाउस में अक्षय कुमार के पिता बनने में भी नहीं हिचके।

सोशल मीडिया पर सक्रिय
ऋषि कपूर एक ऐसे वरिष्ट बॉलीवुड अभिनेता थे, जो सोशल मीडिया पर आखिरी तक सक्रिय रहे। उनके ट्वीट काफी चुटीले हुआ करते थे। वह कपूर खानदान की परम्परा में खाने और पीने के शौक़ीन थे। उनका पीने का शौक ट्विटर पर भी नज़र आता था। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान मैखाना खोले रखने की वकालत भी की थी। जिस पर ट्विटर पर काफी चुटकी ली गई। वैसे वह लॉकडाउन का पालन किये जाने के समर्थक थे। उनके बेटे रणबीर कपूर बॉलीवुड के स्थापित प्रतिभाशाली एक्टर है। ऋषि कपूर ने फिल्म बेशर्म में अपनी पत्नी नीतू सिंह के साथ रणबीर कपूर के पिता-माँ की भूमिका की थी। ऋषि कपूर की आखिरी इच्छा थी कि वह अपने बेटे की शादी देख लेते।
ऋषि कपूर और इरफ़ान खान का संयोग
यहाँ इरफ़ान खान और ऋषि कपूर के जीवन का दिलचस्प संयोग। ऋषि कपूर और इरफ़ान खान ने निखिल अडवाणी की फिल्म डी-डे (२०१३) में अभिनय किया था। इरफ़ान खान ने रॉ एजेंट वली खान और ऋषि कपूर ने रील लाइफ दाऊद इब्राहीम की भूमिका की थी। ऋषि कपूर भी इरफ़ान खान की तरह कैंसर से जूझ कर जीते थे। ऋषि कपूर की माँ कृष्णा कपूर का जब निधन हुआ, तब ऋषि कपूर अमेरिका में अपना कैंसर का इलाज़ करा रहे थे। वह अपनी माँ के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे। उन्ही की तरह इरफ़ान खान भी, लॉकडाउन के कारण अपनी माँ के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे। इरफ़ान खान की तरह ऋषि कपूर भी एक बीमारी से जीतने के बाद दूसरी बीमारी के शिकार हुए। 

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