Thursday, 4 June 2020

नहीं रहे चितचोर डायरेक्टर बासु चटर्जी


मशहूर निर्माता, निर्देशक और लेखक बासु चटर्जी का देहांत हो गया. वह ९३ साल के थे. बासु चटर्जी ने फिल्म करियर की शुरुआत बासु भट्टाचार्य के साथ फिल्म तीसरी कसम और गोविन्द सरैया के साथ फिल्म सरस्वतीचन्द्र से अपने सह निर्देशक करियर की शुरुआत की थी. फिल्म सारा आकाश (१९६९) से वह स्वतंत्र निर्देशक के तौर पर दर्शकों के सामने थे. इस फिल्म की पटकथा उन्होंने ही लिखी थी.

पिया का घर, रजनीगंधा, चितचोर, छोटी सी बात, स्वामी, प्रियतमा, खट्टा मीठा, दिल्लगी, बातों बातों में, शौक़ीन, चमेली की शादी, आदि फिल्मों के ज़रीये वह आम और ख़ास के निर्देशक बन गए. लेकिन, बाद में उनकी कमला की मौत, गुड़गुड़ी, प्रतीक्षा, आदि फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही. उनकी आखिरी हिंदी फिल्म कुछ खट्टा कुछ मीठा (२००७) थी. हालांकि, इसके बाद भी वह बांगला भाषा में फ़िल्में बनाते रहे.

१९७० और १९८० के दशक में. बॉक्स ऑफिस पर बासु चटर्जी, हृषिकेश मुख़र्जी और बासु भट्टाचार्य की फिल्मों का डंका बजा करता था. दर्शक बेसब्री से इन फिल्मों की प्रतीक्षा किया करते थे. बासु चटर्जी ने चार फिल्मों बातों बातों में, पसंद अपनी अपनी, लाखों की बात और एक रुका हुआ फैसला का निर्माण किया था.

दूरदर्शन पर प्रसारित उनका भ्रष्टाचार के खिलाफ सीरियल रजनी आम आदमी द्वारा काफी पसंद किया गया था. इसमे कोई शक नहीं कि बासु चटर्जी आम आदमी से जुड़े निर्देशक थे.इसका परिचय उनके राजनीतिक शो काकाजी कहिन, भीम भवानी, ब्योमकेश बक्षी, आदि को बड़ी सफलता मिली थी.

विडम्बना है कि आम आदमी यानि माध्यम वर्ग की नब्ज़ पर हाथ रखने वाली फ़िल्में और टीवी शो बनाने वाले बासु चटर्जी को पद्मश्री की उपाधि नहीं मिली. उनकी फिल्म दुर्गा को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में परिवार कल्याण की श्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार से नवाज़ा गया. उन्हें श्रद्धांजलि. 

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