Tuesday, 9 June 2020

पहले और आखिरी फिल्मफेयर के असद भोपाली



गुलजार उन्हें उन कुछ नामों में से एक मानते हैं, जिहोने हिंदी फिल्मों के गीतों में अपना योगदान दिया. इस कवि और फिल्म गीतकार ने ऐ मेरे दिले नादान, हम तुम से जुदा हो के, वह जब याद आये बहुत याद आये, हस्त हुआ नूरानी चेहरा, अजनबी तुम जाने पहचाने लगते हो, क्या तेरी जुल्फें हैं, सौ बार जनम लेंगे, राज़ ए दिल उनसे छुपाया न गया, दिल की बाते दिल ही जाने, दिल का सूना साज़ तराना ढूंढ़ा, दोस्त बन के आये हो, दिल दीवाना बिन सजाना के, आदि अर्थपूर्ण और रोमांस से भरे गीतों की रचना की. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं असद भोपाली की, जिनकी आज पुण्य तिथि है. भोपाल में १० जुलाई १९२१ को जन्मे, असदुल्लाह खान ने फिल्मों के लिए लिखने के लिए खुद को शायराना नाम असद भोपाली दिया. उन्हें फिल्मों में गीत लिखने का मौक़ा विभाजन की त्रासदी के कारण मिला. फिल्म दुनिया के गीतकार आरजू लखनवी दो गीत लिखने के बाद पाकिस्तान चले गए थे. निर्माता अच्छे गीतकार की तलाश में अपने मित्र, भोपाल के एक सिनेमा प्रदर्शक के पास पहुंचे तो उन्होंने असद भोपाली का नाम सुझा दिया. इस प्रकार से २८ साल की उम्र में असद भोपाली फिल्म गीतकार बन गए. उन्होंने ज़ल्द ही अशोक कुमार की फिल्म अफसाना के गीत लिखे. इसके बाद, उन्होंने कई फिल्मों के गीत लिखे, लेकिन उनके गीतों को जो पहचान लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल की धुनों पर मिली, वह किसी दूसरे संगीतकार के साथ नहीं मिली. उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जोड़ी के लिए फिल्म पारसमणि के सुपरहिट गीत लिखे. उन्होंने उषा खन्ना के लिए भी कई गीत लिखे. लेकिन, मज़रूह सुल्तानपूरी, जा निसार अख्तर, साहिर लुधियानवी और राजेंद्र कृष्ण के सामने वह सुर्ख़ियों में नहीं आ सके. उन्होंने अपने जीवन में ४०० गीत लिखे. उनको इकलौता फिल्मफेयर अवार्ड सलमान खान की फिल्म मैंने प्यार किया के दिल दीवाना के लिए मिला था. लेकिन, वह बीमार हो जाने की वजह से इस अवार्ड को नहीं ले सके थे. ६ जून १९९० को उनका देहांत हो गया.  

No comments: