Tuesday 14 August 2018

क्या बॉलीवुड के लिए फार्मूला है मुल्क की बात ?

स्वतंत्रता दिवस के दिन दो फ़िल्में सत्यमेव जयते और गोल्ड रिलीज़ हो रही है। निर्देशक रीमा कागती की फिल्म गोल्ड, भारतीय हॉकी के उस स्वर्णिम दिन को याद कराती है, जब भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक्स खेलों में आज़ादी के बाद का पहला हॉकी गोल्ड जीता था । यह अक्षय कुमार की फिल्म है । आज ही, उनके गरम मसाला, देसी बॉयज और हॉउसफुल २ के को-स्टार दोस्त जॉन अब्राहम की फिल्म सत्यमेव जयते भी रिलीज़ हो रही है।  इस फिल्म में, जॉन अब्राहम एक सजग भारतीय (विजिलान्ते) बने हैं, जिस पर शक जाता है कि उसने मुंबई के चार भ्रष्ट पुलिस वालों की हत्या की है।

अतीत से वर्तमान में सचेत करती फ़िल्में
स्वतंत्रता दिवस के दिन रिलीज़ यह दो फ़िल्में, बॉलीवुड के अतीत और वर्तमान में दृष्टि डालने का उदाहरण है। जहाँ, गोल्ड भारत के गौरव की याद ताज़ा कराती है, वही सत्यमेव जयते देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आम लोगों को सजग रहने का संदेसा देती है।  कमोबेश, इसी थीम पर ज़्यादातर बॉलीवुड फ़िल्में बनाई जा रही है। दो हफ्ता पहले रिलीज़ अनुभव सिन्हा की फिल्म मुल्क यह साबित करने का प्रयास करती थी कि हर मुसलमान आतंकी नहीं होता। अभी मुल्क की बात ख़त्म हुई ही थी कि कमल हासन का रॉ एजेंट विसम अहमद कश्मीरी अपने साथियों के साथ  आतंकवादियों का खात्मा करने आ गया। यानि, सैनिक की ड्यूटी कभी ख़त्म नहीं होती।

बॉलीवुड के नज़रिये से फिल्म  
बॉलीवुड अपने नज़रिये से देश को देख रहा है।  वह राजनीतिक रूप से सचेत भी नज़र आता है।  भारतीय प्रधान मंत्री के मेक इन इंडिया के मंत्र पर आधारित है शरत कटारिया की फिल्म सुई धागा : मेड इन इंडिया।  इस फिल्म का निर्माण यशराज फिल्म्स कर रहा है।  यह फिल्म छोटे श्रमिकों यानि दरजी और सिलाई बुनाई करने वालों को आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखाती है।  फिल्म का दरजी (वरुण धवन) और कढ़ाई बुनाई करने वाली महिला (अनुष्का शर्मा) आपस में मिलकर काम करते है और खुद को आत्मनिर्भर बनाते हैं। गाँव में शौच की ज़रूरत को रेखांकित करने वाली फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा बनाने वाले निर्देशक श्री नारायण सिंह की फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू बिजली की समस्या और बढे हुए बिजली बिलों और इनमे भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को सचेत करने वाली फिल्म है। फिल्म काशी टू कश्मीर में सनोज मिश्रा  ने आतंकवादियों के कारण २० जनवरी १९९० को भाग निकलने को मज़बूर हुए कश्मीरी पंडितों की बात की है। विद्युत् जम्वाल की हॉलीवुड के निर्देशक चक रसेल निर्देशित फिल्म जंगली, जंगलों में हाथियों के अंतर्राष्ट्रीय शिकारियों की ग़ैर क़ानूनी हरकतों का पर्दाफ़ाश करने वाली फिल्म है । विद्युत् जम्वाल जंगल में रह कर, जंगल के दुश्मनों का सामना करके वन्य जीवन की रक्षा करते हैं।

रॉ एजेंट नायक
राजकुमार गुप्ता की फिल्म इंडियाज मोस्ट वांटेड, भारत के उन लोगों की हैं, जो अपने देश के लिए मर मिटते हैं, लेकिन कोई उन्हें नहीं जानता। इस फिल्म में अर्जुन कपूर का रॉ एजेंट करैक्टर भारत के एक मोस्ट वांटेड आतंकवादी को पकड़ने निकलता है।  इसी प्रकार से फिल्म रॉ (रोमियो अकबर वॉल्टर) में जॉन अब्राहम देश के दुश्मनों का सफाया करने वाले रॉ एजेंट बने हैं। फिल्म राज़ी की कश्मीरी लड़की भी रॉ एजेंट बन कर पाकिस्तान जाती है ।

बालासाहेब से मनमोहन सिंह तक
देश की राजनीति पर प्रभाव छोड़ने वाली हस्तियों पर बायोपिक फ़िल्में भी देश की बात करने वाली फ़िल्में है। अगले साल, गणतंत्र दिवस पर रिलीज़ होने जा रही एक फिल्म ठाकरे महाराष्ट्र की शिवसेना सुप्रीमो बालासाहब ठाकरे के जीवन पर फिल्म ठाकरे हैं।  अभिजीत पनसे निर्देशित इस फिल्म में बालासाहेब की भूमिका अभिनेता नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी कर रहे हैं। विजय रत्नाकर गुट्टे भारत के पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह पर फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का निर्माण कर रहे हैं।  इस फिल्म में मनमोहन सिंह के राजनितिक कार्यकाल पर नज़र डाली गई है।  अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह की भूमिका की है। 

कपिल देव और आनंद कुमार
अतीत के कुछ चरित्र प्रेरित करने वाले होते हैं।  कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने क्रिकेट का विश्व कप जीता था।  कबीर खान ने, भारत के द्वारा १९८३ का क्रिकेट का विश्व कप जीतने की दास्तान को अपनी फिल्म '८३ का विषय बनाया है।  इस फिल्म में कपिल देव की भूमिका रणवीर सिंह कर रहे हैं। गणतंत्र दिवस २०१९ के वीकेंड पर, हृथिक रोशन की फिल्म सुपर ३० रिलीज़ हो रही है। विकास बहल निर्देशित यह  फिल्म, पटना में एक कोचिंग चलाने वाले आनंद कुमार के जीवन पर है। हृथिक रोशन इन्ही आनंद कुमार की भूमिका कर रहे हैं। 

अतीत में झांकते हुए
विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमण से अपने देश को बचाने के लिए बहादुरी दिखाने वाले भारतीय की कहानी को परदे पर ला कर भी देश का गौरव बढ़ाया जा रहा है। इतिहास का ऐसा ही एक पन्ना है पानीपत का तीसरा युद्ध। यह युद्ध अफगानिस्तान के बादशाह अहमदशाह अब्दाली की सेना और मराठा सेना के बीच पानीपत में लड़ा गया था।  आशुतोष गोवारिकर की इस फिल्म में संजय दत्त को अहमद शाह अब्दाली और मराठा योद्धा सदाशिवराव भाउ के रूप में अर्जुन कपूर को दिखाया गया है । कृष की फिल्म मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ़ झाँसी पहले स्वतंत्रता संग्राम पर फिल्म है, जो अंग्रेज़ों के खिलाफ झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, तात्या टोपे और मंगल पांडेय द्वारा लड़ी गई थी। फिल्म में झाँसी की रानी की भूमिका कंगना रनौत कर रही हैं। जेपी दत्ता की फिल्म पल्टन, १९६७ में भारत की सेना द्वारा चीनी सैनिकों को नाथू ला दर्रे से खदेड़ने की बहादुरी भरी दास्ताँ है, जिसे अभी तक किसी निर्माता ने परदे पर नहीं उतारा। इसी प्रकार से, अजय देवगन की फिल्म तानाजी : द अनसंग वारियर, अक्षय कुमार की फिल्म केसरी, आदि फ़िल्में देश के बहादुर योद्धाओं को नमन करने वाली फ़िल्में हैं।

देश के गौरव व्यक्तियों की कहानी
देश की बात करने वाली फिल्मों को सफलता मिल रही है। अपने देश के लिए पाकिस्तान में जासूसी करने वाली कश्मीरी लड़की कहानी राज़ी, हॉकी में स्वर्णयुग लाने वाले ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह पर फिल्म सूरमा, १९८० के दशक के एक आयकर अधिकारी द्वारा बिना किसी दबाव में आये करोड़ों का काला धन पकड़ने की कहानी रेड, महिलाओं के लिए सस्ते सेनेटरी पैड बनाने की मशीन की ईज़ाद करने की कहानी पर पैडमैन,  भारत के परमाणु विस्फोट पर फिल्म परमाणु द स्टोरी ऑफ़ पोखरण, आदि कुछ ऐसी फ़िल्में हैं, जो देश का गौरव बढ़ाने वालों की अब तक न सुनी और कही गई कहानियों पर बनाई गई फ़िल्में थी, जिन्हे दर्शकों ने स्वीकार भी किया।
ऐसा लगता है कि हिंदी फिल्मकारों के लिए देश या देश के व्यक्तियों की बात, एक हिट फार्मूला बन गया है । राज़ी, सूरमा, रेड, पैडमैन, आदि फ़िल्में इसका प्रमाण हैं कि आम आदमी की बात, ख़ास और आम दर्शक को पसंद आती है । चूंकि, पलटन और पानीपत जैसे विषयों पर बहुत कम जानकारियाँ हैं, इसलिए यह फ़िल्में दर्शकों को ज़्यादा पसंद आती है ।

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