Sunday 1 July 2018

अनोखे ही होते हैं स्क्रीन के पिता-पुत्र

शुक्रवार रिलीज़ हुई फिल्म संजू में, बाकी ड्रामा तो है ही, पिता-पुत्र के संबंधों की गर्माहट भी है।  जैसा कि सभी जानते हैं कि संजू अभिनेता संजय दत्त की बायोपिक फिल्म है। इस फिल्म में संजय दत्त के जीवन के तमाम उतार-चढाव, सिने नगरी, इसकी अप्सराओं के अलावा एक अदद माँ भी है और पिता भी।  माँ कैंसर के कारण अपने पुत्र की फिल्म रिलीज़ होने से पहले ही मर जाती है।  ऐसे में संजय दत्त नशीली दवाओं में बिलकुल डूब जाना चाहता है।  लेकिन पिता सुनील दत्त उसका साथ देते हैं।  उसकी नशे की आदत को छुड़ाते हैं, उसे बेहतरीन एक्टर बनने में मदद करते हैं।  फिल्म में, जहाँ संजू का किरदार रणबीर कपूर कर रहे हैं, वही सुनील दत्त की भूमिका परेश रावल कर रहे हैं।  इन दोनों अभिनेताओं के अभिनय में, फिल्म के नाटकीय क्षणों में गर्माहट अनुभव होती है।

पुत्र के प्रति कठोर पिता 
संजू के पिता-पुत्र अपने आप में अनोखे हैं। रील लाइफ में ऐसे चरित्र बहुत कम बनाये जाते हैं। वह दो ध्रुवों की तरह होते हैं।  एक दूसरे के घोर विरोधी या बेहद प्यार करने वाले। आम तौर पर. हिंदी फिल्मों के पिता पुत्र के सम्बन्ध टकराव के ही होते हैं।  पिता बच्चों के प्रति कठोर होता है।  बेशक यह कठोरता बच्चों के भले के लिए होती है।  दिल धड़कने दो का पिता अनिल कपूर का परिवार और बच्चो के प्रति नजरिया दूसरा है। लेकिन, अब काफी कुछ बदल चुका है।  तारे ज़मीन पर है के डिस्लेक्सिक बच्चे का पिता समझता है कि उसका बच्चा पढ़ना नहीं चाहता, सुस्त है।  इसलिए वह उसे बोर्डिंग स्कूल में भेज देता है। पटिआला हाउस के पिता- पुत्र (अक्षय कुमार और ऋषि कपूर) के सम्बन्धो के बीच क्रिकेट आड़े आता है।  पिता किन्ही कारणों से क्रिकेट को नापसंद करता है।  वेक-अप सिड का पिता (अनुपम खेर) कठोर है।  लेकिन, अपने बेटे (रणबीर कपूर) के भविष्य के लिए चिंतित।  बेटा यह समझ नहीं पाता।  वह अपने पिता से नाराज़ हो कर घर छोड़ देता है।  अब वह अपनी पसंद का करियर चुनता है और सफल होता है।  पिता को अपने बेटे पर गर्व है। दोनों ही फिल्मों के पिता को, बाद में अपने बेटे पर गर्व महसूस होता है।  उड़ान का पिता सख्त है।  वह अपने समझदार बेटों को भी डांट-फटकार लगाया करता है।  इसे देखा कर बड़ा बेटा अपने छोटे भाई की जिम्मेदारी ले लेता है।  दोनों ही अपने पिता को छोड़ कर भाग  निकलते हैं और सफल होते हैं। इस फिल्म के पिता रोनित रॉय तथा बेटों की भूमिकाए रजत बरमेचा और आयन बोरड़िया ने की थी।

पुत्र का भला चाहने वाले पिता 
पिता पुत्र के सम्बन्ध हमेशा रूखे नहीं होते।  पिता अपने पुत्र को बेहद प्यार करता है।  वक़्त : द रेस अगेंस्ट टाइम का पिता अपने बेटे को उत्तरदाई बनाना चाहता है।  जबकि, कभी खुश कभी गम है के पिता को गिला है कि उसके बेटे ने उसकी पसंद की अमीर लड़की से शादी नहीं की।  यह दोनों ही  भूमिकाये  अमिताभ बच्चन ने की थी।  अलबत्ता, उनके बेटों की भूमिका में अक्षय कुमार और शाहरुख़ खान थे।  अमिताभ बच्चन ने ही फिल्म  बागबान में ऐसे पिता की भूमिका की थी, जो अपने बेटों और बेटियों के लिए अपना सब कुछ खर्च कर देता है।  लेकिन, बेटे उसे उसकी पत्नी से अलग कर देते हैं।  ऐसे समय में उनका गोद लिया अनाथ लड़का उन्हें अपने साथ ले जाता है।  सलमान खान ने यह भूमिका की थी।  दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे में, शाहरुख़ खान के पिता को जब पता चलता है कि उसका बेटा सिमरन से प्यार करता है और शादी करना चाहता है तो वह उसे प्रोत्साहित करता है।  उसका साथ देता है। निर्देशक अनिल शर्मा की फिल्म अपने पिता और उसके बेटों के बीच सम्बन्ध बॉक्सिंग रिंग में बनते-बिगड़ते हैं।  पिता को बेईमानी से बॉक्सिंग के लिए अयोग्य घोषित करवा दिया जाता है।  अब पिता इसका बदला अपने बेटों द्वारा बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीत कर लेना चाहता है।  बड़ा बेटा प्रयास करता है।  लेकिन, आर्थिक स्थिति उसे बॉक्सिंग छोड़ने को मज़बूर कर देती है।  अब पिता की पूरी आशाएं छोटे बेटे पर हैं।  छोटा बेटा बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीत कर उसे पूरा भी करता है।  इस फिल्म में धर्मेंद्र कर उनके दो बेटों सनी देओल और बॉबी देओल ने यह भूमिकाये की थी।

कुछ अलग तरह के पा 
अयान मुख़र्जी की फिल्म ये जवानी है दीवानी में पिता और पुत्र फारूख शेख और रणबीर कपूर बने थे।  बेटा फोटोग्राफी में रूचि रखता है ताकि देश विदेश घूम सके।  पिता नहीं चाहता कि बेटा उसे छोड़ कर जाए।  लेकिन, बेटे की इच्छा भांप कर उसे  नहीं रोकता।  ज़ोया अख्तर की फिल्म ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा में पिता-पुत्र नसीरुद्दीन शाह और फरहान अख्तर बने हैं।  भावनाओं में बह कर फरहान की माँ नसीरुद्दीन शाह से गर्भवती हो जाती है।  नसीरुद्दीन शाह दोनों को छोड़ कर चला जाता है।  जब यह दोनों विदेश में मिलते हैं, तब फरहान अख्तर को अपने पिता के अंदर झांकने का मौका मिलता है। आर बाल्की की फिल्म पा में बेटा बेहद बुद्धिमान है, पर वह एक बेहद खतरनाक बीमारी प्रोजेरिआ से पीड़ित है।  पिता एक नेता है। अपने बेटे की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए पिता बेटे और पत्नी के साथ आकर रहता है।  इस फिल्म के पिता-पुत्र के किरदार क्रमशः रियल लाइफ के बेटे अभिषेक बच्चन और पिता अमिताभ बच्चन ने की थी। 

आने वाली है पिता पुत्र की जोड़ियां 
पिता- पुत्र के संबंधों के लेकर कुछ दूसरी फ़िल्में आने को हैं। इन फिल्मों के पिता-पुत्र के रिश्ते तल्ख़ भी हैं, इनमे इमोशन भी है और हास्य भी। आइये जानते हैं ऎसी फिल्मों के बारे में। 

प्रस्थानम का रीमेक - सजय दत्त बतौर निर्देशक एक तेलुगु फिल्म प्रस्थानम का हिंदी रीमेक बना रहे हैं।  इस फिल्म में उनका किरदार एक नेता की विधवा बेटी से शादी कर लेता है, जिसके बच्चे हैं।  नेता मरने के बाद, अपनी राजनीतिक विरासत संजय दत्त के किरदार को सौंप जाता है।  विधवा के बच्चे अपने सौतेले पिता को स्वीकार नहीं कर पाते।  इस पिता के अपने सौतेले बेटे से सम्बन्ध काफी तनावपूर्ण हैं, क्योंकि दोनों के ही मन में राजनीतिक महत्वकांक्षाये हैं।  रीमेक फिल्म में सौतेले बेटे की भूमिका अली फज़ल कर रहे हैं।  मूल फिल्म का सौतेला बेटा बेहद सशक्त किरदार है।  लेकिन, अली ज़फर कमज़ोर अभिनेता हैं। इस फिल्म को मूल फिल्म के निर्देशक देवा कट्टा निर्देशित कर रहे हैं।  

ठग्स ऑफ़ हिंदोस्थान- विजय कृष्ण आचार्य की फिल्म ठग्स  ऑफ़ हिंदोस्थान की कहानी १८ वी शताब्दी के ब्रिटिश इंडिया के ठगों की है।  इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और आमिर खान ने पिता और पुत्र की भूमिका की है।  लेकिन, आमिर खान अमिताभ बच्चन के पालक पिता है।  दोनों ठगी करते हैं।  इनके रिश्ते काफी मधुर और हास्य से भरपूर हैं।  अभिनय के लिहाज़ से दर्शकों को इन रील लाइफ बाप-बेटा की बढ़िया केमिस्ट्री देखने को मिल सकती है।

जीरो- आनंद एल राज की, २१ दिसंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म जीरो में शाहरुख़ खान ने एक बौने की भूमिका की है, जो फिल्म एक्टर बनना चाहता है।  इस फिल्म में शाहरुख़ खान के किरदार के पिता की भूमिका एक्टर डायरेक्टर तिग्मांशु धुलिया ने की है।  आम तौर पर हिंदी फिल्मों में खल भूमिकाओं में नज़र आने वाले तिग्मांशु धुलिया ने यह भूमिका शाहरुख खान के साथ अभिनय करने और वीएफएक्स के बारे में सीखने समझने के लिए की है।  इसके बावजूद जीरो में इन दोनों एक्टरों के बीच कुछ बढिया इमोशनल दृश्य देखने को मिले सकते हैं। 


राजमा-चावल -  लीना यादव की यह फिल्म जनरेशन गैप पर है।  लीना यादव ने फिल्म में ऋषि कपूर और अनिरुद्ध तंवर को पिता-पुत्र के रूप में पेश किया है।  इन दोनों पिता-पुत्र के बीच संवादहीनता की समस्या है। इसके कारण दोनों के सम्बन्ध काफी तनावपूर्ण रहते हैं।  लेकिन, इन दोनों की पसंद एक है -राजमा चावल खाना।  यही राजमा चावल इन दोनों के संबंधों के तनाव को ख़त्म करने में नायिका का मददगार साबित होता है। 

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