हिंदी फिल्मों में सत्तारोहण का दौर चल निकला लगता है। संजय दत्त की दो फ़िल्में प्रस्थानम और केजीएफ़
चैप्टर २ इस लिहाज़ से ख़ास है। प्रस्थानम, इसी टाइटल
के साथ २०१० में प्रदर्शित तेलुगु फिल्म प्रस्थानम की हिंदी रीमेक है। प्रस्थानम की कहानी गाँव की राजनीति पर
केंद्रित पॉलिटिकल एक्शन फिल्म है। देव
कट्टा द्वारा निर्देशित फिल्म की कहानी की शुरुआत में मृत्यु शैया पर लेटा एक स्थानीय नेता, अपनी दो बच्चों की माँ विधवा लड़की से शादी की शर्त पर,
अपनी राजनीतिक विरासत एक युवा विरोधी को सौंप देता है। राजनीतिक विरासत पाने वाले भूमिका संजय
दत्त कर रहे हैं। अब संजय दत्त असमंजस में है कि वह अपनी राजनीतिक विरासत किसे
सौंपे। उसका सौतेला बेटा राजनीतिक समझ वाला है, जबकि सगा
बेटा गुस्सैल और अविवेकी। यहीं से शुरू होता है दो भाइयों के साथ साथ परिवार के
अंदर का सत्ता युद्ध। प्रस्थानम में, संजय दत्त
की भूमिका केंद्रीय है। लेकिन, दूसरी फिल्म
कन्नड़ और हिंदी में बनाई जा रही केजीएफ चैप्टर २ में,
संजय दत्त खल भूमिका में हैं। अधीरा की उनकी भूमिका इस लिहाज़ से ख़ास है कि
अधीरा, अपने बड़े भाई की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए सोने की खदानों पर राज
करने की अपनी इच्छा अपने भतीजे के लिए छोड़ देता है। लेकिन,
क्या इससे सत्ता संघर्ष ख़त्म हो जाएगा ? फिल्म का
दिलचस्प हिस्सा यही है। यहाँ बताते चलें कि ३० अगस्त को रिलीज़ हुई फिल्म साहो भी
काल्पनिक वाजी सिटी पर अंडरवर्ल्ड के वर्चस्व के लिए खुनी संघर्ष पर फिल्म है।
यहाँ एक ख़ास बात यह कि साहो में सत्ता के लिए संघर्ष करने वाले चरित्रों के एक्टर
जैकी श्रॉफ और चंकी पांडेय, फिल्म प्रस्थानम में भी संघर्ष में अपनी
अपनी भूमिका कर रहे हैं। प्रस्थानम २० सितम्बर को तथा केजीएफ चैप्टर २,
दिसंबर में रिलीज़ हो रही है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 8 September 2019
Sanjay Dutt की दो फिल्मों की एक कहानी !
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Sanjay Dutt,
कुछ चटपटी
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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